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वह दिन जब मैंने शहर के लिए घर छोड़ा The day I left home for the city

Written by Lesley Koyi, Ursula Nafula

Illustrated by Brian Wambi

Translated by Nandani

Language Hindi

Level Level 3

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मेरे गाँव का छोटा सा बस स्टैंड लोगों और भीड़-भाड़ वाली बसों से भरा रहता था। उस जगह पर बस में चढ़ाने को बहुत सारी चीज़ें थीं। कंडक्टर भी बस की जानेवाली जगहों के नाम पुकारते हुए ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगा रहे थे।

The small bus stop in my village was busy with people and overloaded buses. On the ground were even more things to load. Touts were shouting the names where their buses were going.


“शहर! शहर! बस पश्चिम की ओर जा रही है!” मैंने कंडक्टर को चिल्लाते सुना। यह वही बस थी जो मुझे पकड़नी थी।

“City! City! Going west!” I heard a tout shouting. That was the bus I needed to catch.


शहर जाने वाली बस लगभग भर चुकी थी, लेकिन और लोग इसमें जाने के लिए धक्के दे रहे थे। कुछ लोगों ने अपना सामान बस के अंदर रखा था। और लोगों ने उसे अंदर बने तख़्तों पर रखा था।

The city bus was almost full, but more people were still pushing to get on. Some packed their luggage under the bus. Others put theirs on the racks inside.


नये यात्री अपना टिकट हाथों में दबाये, भीड़ वाली बस में बैठने के लिए जगह ढूँढ़ रहे थे। छोटे बच्चों के साथ महिलाएँ भी इस लंबी यात्रा के लिए अपनी जगह आरामदेह बना रही थीं और अपने बच्चों को आराम से बैठा रही थीं।

New passengers clutched their tickets as they looked for somewhere to sit in the crowded bus. Women with young children made them comfortable for the long journey.


मैं एक खिड़की के बगल में घुस गया। मेरे बगल में बैठे हुए आदमी ने हरे रंग का प्लास्टिक का बैग ज़ोर से पकड़ रखा था। उसने पुरानी चप्पल, घिसा हुआ कोट पहना था और वह घबराया हुआ लग रहा था।

I squeezed in next to a window. The person sitting next to me was holding tightly to a green plastic bag. He wore old sandals, a worn out coat, and he looked nervous.


बस से बाहर देखते हुए मैंने ये महसूस किया कि मैं अपने गाँव को जहाँ मैं बड़ा हुआ हूँ, उस जगह को छोड़कर जा रहा हूँ। मैं एक बड़े शहर में जा रहा था।

I looked outside the bus and realised that I was leaving my village, the place where I had grown up. I was going to the big city.


लोगों के बस में चढ़ने का क्रम ख़त्म हुआ और सभी यात्री बैठ गए। फेरीवाले अभी भी यात्रियों को अपना सामान बेचने के लिए बस में घुस रहे थे। वे अपनी उन सभी चीज़ों का नाम बोल रहे थे जो उन्हें बेचनी थीं। उनके वे शब्द मुझे मज़ेदार लग रहे थे।

The loading was completed and all passengers were seated. Hawkers still pushed their way into the bus to sell their goods to the passengers. Everyone was shouting the names of what was available for sale. The words sounded funny to me.


कुछ यात्रियों ने पीने के लिए कुछ लिया और कुछ ने हल्का फुल्का नाश्ता लिया और उसे खाने-पीने लगे। मेरे जैसे लोग, जिनके पास पैसे नहीं थे, वह यह सब बस देखते ही रहे।

A few passengers bought drinks, others bought small snacks and began to chew. Those who did not have any money, like me, just watched.


पूरी चहल पहल बस के शुरू होनी की आवाज़ के साथ थमी, यह एक संकेत था कि हम जाने के लिए तैयार हैं। कंडक्टर फेरीवालों पर चिल्लाया कि वे बस से उतर जाएँ।

These activities were interrupted by the hooting of the bus, a sign that we were ready to leave. The tout yelled at the hawkers to get out.


फेरीवाले बस से बाहर जाने के लिए एक दूसरे को धक्का दे रहे थे। उनमें से कुछ यात्रियों को खुले पैसे वापस लौटा रहे थे। और बाकी सभी, अंतिम समय में और सामान बेचने की कोशिश में लगे हुए थे।

Hawkers pushed each other to make their way out of the bus. Some gave back change to the travellers. Others made last minute attempts to sell more items.


जब बस ने स्टैंड को छोड़ा, मैंने खिड़की से बाहर देखना शुरू किया। मैं सोचने लगा कि क्या कभी मैं अपने गाँव वापस जाऊँगा।

As the bus left the bus stop, I stared out of the window. I wondered if I would ever go back to my village again.


जब यात्रा आगे बढ़ी, बस अंदर से काफ़ी गर्म हो गई। मैंने सोने की कोशिश में अपनी आँखें बंद कर लीं।

As the journey progressed, the inside of the bus got very hot. I closed my eyes hoping to sleep.


लेकिन मेरा ध्यान वापिस घर की ओर चला गया। क्या मेरी माँ ठीक होगी? क्या मेरे खरगोशों से मुझे कुछ पैसे मिलेंगे? क्या मेरे भाई को उन पेड़ों में पानी डालना याद रहेगा जो मैंने लगाये हैं?

But my mind drifted back home. Will my mother be safe? Will my rabbits fetch any money? Will my brother remember to water my tree seedlings?


रास्ते में, मैं उस जगह का नाम याद कर रहा था जहाँ मेरे चाचा उस बड़े शहर में रहते हैं। मैं नींद में भी वह नाम बड़बड़ा रहा था।

On the way, I memorised the name of the place where my uncle lived in the big city. I was still mumbling it when I fell asleep.


नौ घंटे बाद, मैं गाँव वापस जा रहे यात्रियों को बुलाए जाने और बस का दरवाज़ा ज़ोर से पीटने की आवाज़ से जगा। मैंने अपना छोटा सा थैला उठाया और बस से बाहर कूद गया।

Nine hours later, I woke up with loud banging and calling for passengers going back to my village. I grabbed my small bag and jumped out of the bus.


वापस जाने वाली बस जल्द ही भर गई। जल्द ही पूर्व की ओर चल दी। अभी मेरे लिए अपने चाचा का घर ढूँढ़ना सबसे ज़रूरी था।

The return bus was filling up quickly. Soon it would make its way back east. The most important thing for me now, was to start looking for my uncle’s house.


Written by: Lesley Koyi, Ursula Nafula
Illustrated by: Brian Wambi
Translated by: Nandani
Language: Hindi
Level: Level 3
Source: The day I left home for the city from African Storybook
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This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
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